अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस


भाषा मानवी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। भाषा ही एक माध्यम रहा है जिस माध्यम से इंसानों ने अपने अब तक के विकास को हासिल किया है। इंसानों में सोचने - समझने की शक्ति के विकास में उनकी मातृभाषा का अहम योगदान होता है । मातृभाषा ही वो माध्यम है जिस की वजह से हम बचपन से ज्ञान हासिल करते है। अपनी अनोखी संस्कृति को आगे बढ़ाते हैं। मातृभाषा के महत्व को ध्यान में रखते हुए ही 'अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस ' मनाने की शुरुवात हुई।

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास क्या है?

हर साल अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। इसकी मांग सबसे पहले बांग्ला देश से हुई थी। यूनेस्को की ओर से मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा 17 नवंबर 1999 को की गई थी और पहली बार इसे वर्ष 2000 में इस दिन को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया गया था।

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

भाषा के महत्व को देखते हुए संस्कृति व बौद्धिक विरासत की रक्षा करने, भाषाई व सांस्कृतिक विविधता एवं बहुभाषावाद का प्रचार करने और दुनियाभर की विभिन्न मातृभाषाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा उनके संरक्षण के लिए यूनेस्को हर साल अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।

विश्व में लगभग 6900 भाषाएं बोली जाती हैं। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत भाषाएं बोलनेवाले लोगों की संख्या एक लाख से भी कम है। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार विश्व की कई भाषाएं लुप्त होती जा रही है। जिस से उस भाषा से संबंधित संस्कृति भी खत्म हो जाती है।

विश्व में आज अंग्रेजी, जापानी, हिन्दी, रूसी आदि कुछ भाषाएं अधिक बोली जाने वाली भाषाएं हैं। 

इस दिवस के उपलक्ष्य में यूनेस्को हर साल एक थीम / विषय तय करता है। 2022 का विषय है, 'बहुभाषी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, चुनौतियां और अवसर'। यह बहुभाषी शिक्षा को आगे बढ़ाने और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और सीखने के विकास को मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी की संभावित भूमिका पर केंद्रित है। 




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