हिंदी :
बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा संस्कृत में रचित गीत वंदे मातरम स्वतंत्रता संग्राम में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसे जन-गण-मन के बराबर का दर्जा प्राप्त है। 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में एक बयान दिया, "भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाले गीत वंदे मातरम को जन गण मन के साथ समान रूप से सम्मानित किया जाएगा।" और उसके बराबर का दर्जा होगा।” प्रथम छंद :वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥
राष्ट्रीय गीत का समय लगभग 1 मिनट 9 सेकंड है। पहला राजनीतिक अवसर जब इसे गाया गया वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 1896 का अधिवेशन था। यह गाना बंकिमचंद्र के सबसे प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ (1882) का हिस्सा था।
Click To Play 👇
English :
The first political occasion when it was sung was the 1896 session of the Indian National Congress. The song was a part of Bankimchandra's most famous novel Anand Math (1882).
Post a Comment